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विकसित भारत के लिए महिला सशक्तिकरण का होना बेहद जरूरी :एपी पाठक


पटना,( संवाददाता) : भाजपा नेता एपी पाठक ने अपने लेख में बताया कि भारतीय नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी उसके सशक्तिकरण की अत्यंत आवश्यकता महसूस हो रही है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को ऊँचा कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। महिलाओं को कई क्षेत्र में विकास की जरुरत है।भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जैसे – दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व माना गया है। इस सृजन की शक्ति को विकसित-परिष्कृति कर उसे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्याय, विचार, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, अवसर की समानता का सु-अवसर प्रदान करने की जरूरत है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक तरक्की के बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। यह वह तरीका है, जिसके द्वारा महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकंक्षाओं को पूरा कर सके।आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं,जैसे राष्ट्रपति महोदया। फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य है और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नही है। शिक्षा के मामले में भी भारत में महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा काफी पीछे हैं।भारत के शहरी क्षेत्रों की महिलाएँ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के अपेक्षा अधिक रोजगारशील है। एक अध्ययन में सामने आया है कि समान अनुभव और योग्यता के बावजूद महिलाओं को मेहनताना कम मिलता है।भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी केवल महिलाओं की है और वो शसक्त नहीं है।जबकि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी देश को विकसित भारत के संकल्पों से बांध चुके है।इसी के चलते उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बहुत योजनाओं को चला रखा है ताकि भारत विकसित हो सके जैसेनारी शक्ति अभिनंदन के तहत सदन में महिला आरक्षण बिल पास करना बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना –महिला हेल्पलाइन योजना –उज्जवला योजना –महिला शक्ति केंद्र –सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेनपंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षणपिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किए गए हैं। हालाँकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिये महिलाओं सहित सभी का लगातार सहयोग की जरुरत है।भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं भी बहुत है।पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण भारत के कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं के घर छोड़ने पर पाबंदी होती है। इस तरह के क्षेत्रों में महिलाओं को शिक्षा या फिर रोजगार के लिए घर से बाहर जाने के लिए आजादी नही होती है।कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण भी महिला सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है। नीजी क्षेत्र जैसे कि सेवा उद्योग, साफ्टवेयर उद्योग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। समाज में पुरुष प्रधनता के वर्चस्व के कारण महिलाओं के लिए समस्याएँ उत्पन्न होती है। पिछले कुछ समय में कार्यक्षेत्रों में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़नों में काफी तेजी से वृद्धि हुई है।महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएँ भी महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएँ है। वैसे तो शहरी क्षेत्रों में लड़कियाँ शिक्षा के मामले में लड़कों के बराबर हैं, पर ग्रामीण क्षेत्रों में इस मामले वह काफी पीछे हैं।हालांकि पिछलें कुछ दशकों सरकार द्वारा लिए गए प्रभावी फैसलों द्वारा भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया है ।हमने भी अपने जीवन में बहुत सारी महिलाओं के स्वॉलबन के लिए लगातार काम किया है।अपने बाबु धाम ट्रस्ट के माध्यम से चंपारण के हजारों महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया और उनको रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण दिलवाकर उनको रोजगार दिलवाया।उनकी शिक्षा के लिए निशुल्क बाबु धाम ट्रस्ट शिक्षण संस्थान खुलवाया। अपने बाबु धाम ट्रस्ट द्वारा एक नाट्य टीम का गठन किया जो गांव गांव जाकर कन्या भ्रूणहत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात, दहेज हत्या, अशिक्षा आदि जो भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी बाधाओं आदि को दुर करने हेतु जागरूकता लाने का काम करती है जिसमे थरुहट की आदिवासी महिलाएं भी है।लड़कियों के बेहतरी के लिए योजना बनाकर और उन्हें आर्थिक सहायता देकर उनके परिवार में फैली भ्रांति लड़की एक बोझ है की सोच को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।देश अब बदल रहा है और महिलाएं अब अपनी कार्यस्थल पर पुरुषों से कम नहीं है इसलिए केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकारों को भी महिला के सशक्तिकरण हेतु प्रयासरत होने की जरूरत है।

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