पटना , (संवाददाता) : पुनाईचक अवस्थित बिहार निषाद संघ के कार्यालय से संघ के प्रदेश अध्यक्ष ई हरेन्द्र प्रसाद निषाद, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर सहनी,कार्यकारी प्रधान महासचिव धीरेन्द्र निषाद, प्रदेश उपाध्यक्ष विनय कुमार विद्यार्थी,मीना कुमारी निषाद, महासचिव उमेश मंडल ,मनोज कुमार, सुरेश प्रसाद सहनी ने एक सयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 17 वर्ष पूर्व में बिहार सरकार द्वारा निर्णय लिया गया था कि सरकार प्रति वर्ष 10जुलाई को मछुआरा दिवस का आयोजन करेगा।इस मछुआरा दिवस पर मत्स्य निदेशक एवं अन्य सम्बंधित बरीय पदाधिकारी द्वारा मत्स्य पालन के क्षेत्र में मत्स्य कृषकों,मछुआरों को लाभार्थ योजनाएं के संदर्भ में जानकारी देने और मछुआरों की समस्याओ को सुनना एवं उसका निराकरण करने की भी चर्चा की बात कही गई है।कुछ वर्षो तक मत्स्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों मछुआरा दिवस मनाया गया अब तो सरकार द्वारा मछुआरा दिवस मनाना प्राय बन्द कर दिया गया है।मछुआरों की आशा थी इस वर्ष सरकार द्वारा पटना में मछुआरा दिवस मनाया जायेगा किन्तु इसे न मनाने से बिहार के मछुआरें दुखित एवं आक्रोशित है।पूर्व में बिहार राज्य मछुआरा आयोग का गठन किया गया था किन्तु उसे भी बन्द कर दिया गया।फरक्का बराज में फिश लैडर न बनने समुद्री मछलियों का आवागमन अवरुद्ध होने,एवंअन्य कारणों से नदियों में मछलियों का मिलना बहुत कम हो गया है जिसके कारण मछुआरों का जीविका का साधन समाप्ति की ओर है।इसके अतिरिक्त मछुआरों की अनेक लम्बित समस्याए जैसे परम्परागत मछुआ की सूची जारी करने में टाल मटोल करना,सरकारी तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त करना,सभी शहरों एवं प्रखंडों में मछली बिक्री के लिए फिश मार्केट बनाने,प्रत्येक वर्ष प्रत्येक जिला में मछुआ आवास बनाने सहित कई समस्याए लम्बित है।सरकार द्वारा मछुआरा दिवस का आयोजन न करने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार को मछुआरों की समस्याओं के निराकरण में कोई रूची नहीं है। सभी ने मुख्यमंत्री अनुरोध किया कि प्रत्येक जिला के जिला मत्स्य पदाधिकारी अपने अपने जिला में और मत्स्य निदेशक एवं अन्य वरीय पदाधिकारी पटना में प्रति वर्ष 10जुलाई को मछुआरा दिवस का आयोजन कर मत्स्य कृषकों/मछुआरों को लाभार्थ योजनाओं को अवगत करायें और इनके समस्याओं से अवगत होकर इन समस्याओं का निराकरण करने हेतु कडे निर्देश दें। अगर ऐसा नहीं होगा तो बिहार निषाद संघ पुरे बिहार में आन्दोलन करने के लिए बिवश होगा।
सरकार द्वारा मछुआरा दिवस न मनाने से मछुआरे आक्रोशित : बिहार निषाद संघ
7/13/2024 02:44:00 pm
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पटना , (संवाददाता) : पुनाईचक अवस्थित बिहार निषाद संघ के कार्यालय से संघ के प्रदेश अध्यक्ष ई हरेन्द्र प्रसाद निषाद, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर सहनी,कार्यकारी प्रधान महासचिव धीरेन्द्र निषाद, प्रदेश उपाध्यक्ष विनय कुमार विद्यार्थी,मीना कुमारी निषाद, महासचिव उमेश मंडल ,मनोज कुमार, सुरेश प्रसाद सहनी ने एक सयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 17 वर्ष पूर्व में बिहार सरकार द्वारा निर्णय लिया गया था कि सरकार प्रति वर्ष 10जुलाई को मछुआरा दिवस का आयोजन करेगा।इस मछुआरा दिवस पर मत्स्य निदेशक एवं अन्य सम्बंधित बरीय पदाधिकारी द्वारा मत्स्य पालन के क्षेत्र में मत्स्य कृषकों,मछुआरों को लाभार्थ योजनाएं के संदर्भ में जानकारी देने और मछुआरों की समस्याओ को सुनना एवं उसका निराकरण करने की भी चर्चा की बात कही गई है।कुछ वर्षो तक मत्स्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों मछुआरा दिवस मनाया गया अब तो सरकार द्वारा मछुआरा दिवस मनाना प्राय बन्द कर दिया गया है।मछुआरों की आशा थी इस वर्ष सरकार द्वारा पटना में मछुआरा दिवस मनाया जायेगा किन्तु इसे न मनाने से बिहार के मछुआरें दुखित एवं आक्रोशित है।पूर्व में बिहार राज्य मछुआरा आयोग का गठन किया गया था किन्तु उसे भी बन्द कर दिया गया।फरक्का बराज में फिश लैडर न बनने समुद्री मछलियों का आवागमन अवरुद्ध होने,एवंअन्य कारणों से नदियों में मछलियों का मिलना बहुत कम हो गया है जिसके कारण मछुआरों का जीविका का साधन समाप्ति की ओर है।इसके अतिरिक्त मछुआरों की अनेक लम्बित समस्याए जैसे परम्परागत मछुआ की सूची जारी करने में टाल मटोल करना,सरकारी तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त करना,सभी शहरों एवं प्रखंडों में मछली बिक्री के लिए फिश मार्केट बनाने,प्रत्येक वर्ष प्रत्येक जिला में मछुआ आवास बनाने सहित कई समस्याए लम्बित है।सरकार द्वारा मछुआरा दिवस का आयोजन न करने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार को मछुआरों की समस्याओं के निराकरण में कोई रूची नहीं है। सभी ने मुख्यमंत्री अनुरोध किया कि प्रत्येक जिला के जिला मत्स्य पदाधिकारी अपने अपने जिला में और मत्स्य निदेशक एवं अन्य वरीय पदाधिकारी पटना में प्रति वर्ष 10जुलाई को मछुआरा दिवस का आयोजन कर मत्स्य कृषकों/मछुआरों को लाभार्थ योजनाओं को अवगत करायें और इनके समस्याओं से अवगत होकर इन समस्याओं का निराकरण करने हेतु कडे निर्देश दें। अगर ऐसा नहीं होगा तो बिहार निषाद संघ पुरे बिहार में आन्दोलन करने के लिए बिवश होगा।