जदयू का राजद में विलय तय :ललन पासवान
10/14/2023 03:51:00 pm
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पटना , (संवाददाता): डा. राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर के सपनों को साकार करने और लालू-राबडी के गुंडा और आतंक राज हत्या, बलात्कार और नरसंहारों से मुक्ति के लिए जार्ज फर्नाडीस और नीतीश कुमार की अगुवाई में वर्ष 1994 में समता पार्टी का गठन किया गया था और बाद में शरद यादव की पार्टी से विलय करके जो जनता दल (यू) बनी, वह आज अपने मूल सिद्धांतों से भटक गई है । करीब तीन दशकों तक पार्टी का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के जाल में फंसकर पार्टी को लालू यादव की गोद में डाल दिया है। लालू यादव के गुंडा और आतंक राज के खिलाफ 94 से 2005 तक संघर्ष में सैंकड़ों साथियों के बलिदान के बाद नीतीश कुमार नवंबर 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने । ये बातें पूर्व विधायक ललन पासवान ने प्रेस कांफ्रेस में कही। ललन पासवान ने कहा कि वर्ष 2009 के बाद से ही पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटकने लगी। पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का सिलसिला शुरू हो गया। यहाँ तक कि पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष जार्ज फर्नाडीस को अपमानित करके बाहर का रास्ता दिखाया गया। उसी तरह कुंठाग्रस्त होकर शरद यादव को भी हटा दिया गया । समता पार्टी के समय से ही पार्टी के लिए खून पसीना बहाने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को एक-एक करके बाहर का रास्ता दिखाया गया। शकुनी चौधरी, वृषिण पटेल, राम सुंदर दास, शिवानंद तिवारी, उपेद्र कुशवाहा, अरूण कुमार, दिग्विजय सिंह जैसे लोगों को एक-एक कर पार्टी से निकाला गया था निकलने के लिए मजबूर किया गया। जिस लालू के आतंक राज के खिलाफ जनता ने संघर्ष करके नीतीश कुमार को ताज पहनाया उसे ललन सिंह जैसे चाटुकार मैनेजर के कहने पर नीतीश कुमार ने उस ताज को लालू-राबड़ी परिवार के चरणों पर समर्पित कर दिया है। नीतीश कुमार आज ललन सिंह के सामने लाचार व बेवस है जद यू आज राजनीतिक कार्यकर्ताओं की नहीं कि बाहर से आए संजय झा, विजय कुमार चौधरी और अशोक चौधरी, जैसे मैनेजर, दरबारी और ठेकेदारों की पार्टी बनकर रह गई है। जो भी कार्यकर्ता पार्टी बैठकों में कुछ बौलने की कोशिश करता है उसकी राजनीतिक जीभ काट ली जाती है। साकारों और चमचों तथा खुशामदी अफसरों ने पार्टी को रसातल में पहुंचा दिया है। इन लोगों ने पार्टी को ऐसी दयनीय स्थिति बना दी है कि आज हो या कुछ दिनों के बाद जदयू का राजद में विलय तय है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बा साहेब के सिद्धांतो के खिलाफ अनुसूचित जाति को भी टुकड़ों टुकड़ों में बांट दिया। दलित-महादलित कर दिया। नौकरियों के प्रोमोशन में आरक्षण को बंद कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि राज्य सरकार प्रोन्नतियों में आरक्षण दे सकती है। दलितों में पासवान जाति अलग थलग करने का काम किया। इसके उनका दलित विरोधी चेहरा उजागर होता है। सुशासन का दावा करने वाले नीतीश कुमार के राजपाठ में आज सबसे ज्यादा हत्या व बलात्कार की घटनाएं दलितों के साथ हो रही है। खास तौर पर राजद के साथ जबसे उन्होंने हाथ मिलाया है तब से दलितों पर अत्याचार व उत्पीडन और ज्यादा बढ़ गया है।