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मणिपुर में जातीय हिंसा लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है

                         
                                                                                                                            जयप्रकाश चौधरी

मणिपुर राज लगातार हिंसा की आग में जल रहा है। मणिपुर ऐसा राज्य है जिसके महिला और पुरुष खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन किया। वहां पर बार-बार जातीय हिंसा का भड़कना बेहद दुखद है। राज्य में 1993 के बाद इतनी भीषण हिंसा हुई है। तब एक दिन में 100 से ज्यादा लोग मारे गये थे। अबकी बार हुई हिंसा में लगभग 80 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि सुरक्षा बलों ने 40 सशस्त्र आतंकवादियों को ढेर किया है। यह आतंकवादी लोगों के घर जला रहे थे और आम लोगों पर फायरिंग में भी शामिल थे। ताजा ​हिंसा में 100 से ज्यादा घर तबाह हो चुके हैं और लोग सुरकक्क्षित त स्थानों की ओर बेतहाशा भाग रहे हैं। अपने ही देश में लोग शरणार्थियों जैसा जीवन जीने को विवश हैं। जब से हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय काे अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए राज्य सरकार से सिफारिश दाखिल करने के ​लिए  कहा है तब से मणिपुर में तनाव व्याप्त है।मणिपुर की हिंसा के पीछे आतंकवादी समूहों की साजिश का भी पर्दाफाश हो रहा है। सेना ने इस साजिश का पर्दाफाश भी किया है जिससे पता चलता है कि आतंकवादी समूह हिंसा को भड़काने के लिए लोगों को कवच के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। सेना को इस बात की भी आशंका है कि मणिपुर के विद्रोही संगठन बड़े हमले की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल सेना ने उग्रवादी संगठनों के बीच हुई बातचीत को ​डि-कोड किया है। नगा और कुकी जातियां मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के खिलाफ हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे मैतेई समुदाय उन के अधिकारों को हड़प लेगा और राजनीतिक तौर पर भी मैतेई समुदाय और अधिक प्रभावशाली बन जाएगा। हालांकि मणिपुर में जातियों की लड़ाई की वजहों को समझना सरल नहीं है। इसके लिए हमें म​णिपुर की सामाजिक स्थिति को समझना होगा।मणिपुर की जनसंख्या लगभग 30-35 लाख के करीब है। यहां तीन मुख्य समुुदाय हैं। मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर​ हिन्दू हैं और मुस्लमान भी हैं। जनसंख्या में भी मैतेई ज्यादा हैं। नगा और कुकी ज्यादातर ईसाई हैं मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. - राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात करें तो मणिपुर के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं। बाकी 20 नगा और कुकी जा​ित से आते हैं। अब तक हुए 12 मुख्यमंत्रियों में से दो ही जन​जाति के रहे हैं। मणिपुर के 10 प्रतिशत भू-भाग पर मैतेई समुदाय का दबदबा है। यह समुदाय इंफाल घाटी में बसा है। 90 प्रतिशत पहाड़ी इलाके में प्रदेश की मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं। इन पहाड़ी और घाटी लोगों के बीच विवाद काफी पुराना और संवेदनशील है। बड़ी मुश्किल से मणिपुर में विद्रोही संगठनों पर अंकुश लगाया गया था। राज्य में लगभग 30 विद्रोही संगठन थे। जो अब काफी छिन्न-भिन्न हो चुके हैं। एनएससीएन (आईएम) और प्रतिबंधित एनएससीएन (के) सहित नगा समूह नगा​िलक या वृहत्तर नगालैंड की मांग करते रहे हैं। जबकि 10 कुकी संगठन अपने लिए एक अलग राज्य की मांग करते रहे हैं।

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